Sunday 3 August 2014

07:09

          

आज कि बाजार कि परिस्थिति एवं भारत सरकार के विभिन्न कानूनों को ध्यान में रकते हुए आयात निर्यात कंपनी चालू करने के लिए इन बातों को ध्यान रखना होगा:--

1) नाम का चुनाव :  नाम ही सब कुछ है. किसी कंपनी का नाम उसकी पहचान होती है, उसके नाम से यह भी पता चलता है कि वह कंपनी करती क्या है. अर्थात आपकी कंपनी का नाम छोटा, आकर्षक, उच्च्चारण में सरल हो तो बढ़िया है.  अंतर्राष्ट्रीय बाजार में प्रवेश या तो आप अपने पहले से बने कंपनी के नाम पर ही सकते है या फिर कोई नयी कंपनी का घटन / निर्माण करके कर सकते है. 

कम्पनी कि स्थापना भारतीय नियम / कानून के मुताबिक होना चाहिए.

2) ऑफिस / कार्यालय : आमतौर पर आयात निर्यात कंपनी का ऑफिस / कार्यालय airport / seaport ( हवाई अड्डा / समुद्री बंदरगाह) के नजदीक होना चाहिए. लेकिन इस इंटरनेट, मोबाइल और आधुनिक तकनीक के ज़माने में ये सब बात उतने मायने नहीं रखते है.

किसी भी अंतर्राष्ट्रीय कंपनी के साथ पत्र व्यवहार करते वक्त अपनी कंपनी का पूरा नाम, पता, इतिहास, वर्तमान  व्यापार छेत्र, बैंक का नाम, आदि दिया जाना चाहिये. इन सबसे आपकि प्रमाणिकता बदती है और लोगों को आपके साथ व्यापार करने में सहजता आती है.

इसके अलावा यह भी ध्यान देने योग्य बात है कि जब आप विभिन्न आयात निर्यात से सम्भंदित संस्थान में सदस्यता लेना चाहते है, उस वक्त आपको अपने कंपनी के रजिस्टर्ड ऑफिस के नजदीकी जोनल ऑफिस में ही सदस्यता मिलती है.  इसका मतलब हुआ कि अगर आपका ऑफिस मुंबई में रजिस्टर्ड ( पंजीकृत) है तो आपके कंपनी को विभिन्न सरकारी संस्थानों के मुंबई जोनल ऑफिस में सदस्यता लेना होगा.


3) IMPORT / EXPORT CODE NUMBER - आयत निर्यात कुट संख्या : आजकल जिस तरह लोगों के पास PAN CARD NUMBER होता है उसी तरह आयात / निर्यात करनेवाली हर प्रकार की कंपनी के पास IMPORT / EXPORT CODE NUMBER (आयात / निर्यात कुट संख्या) होना जरुरी है. यह I.E. CODE NO. DGFT (DIRECTOR GENERAL OF FOREIGN TRADE – विदेश व्यापार महानिदेशालय) द्वारा जारी किया जाता है.   I.E. CODE NO. पाने के लिए ऐसे बैंक में खाता होना चाहिए जिसे विदेशी मुद्रा खरीदने और बेचने का अधिकार हो ताकि विदेशी व्यापार के वक्त विदेशी मुद्रा खरीदने और बेचने एवं आयात / निर्यात के DOCUMENTS (कागजात) विदेशों से मंगाने और विदेशी ग्राहक के पास इसे भेजने में सहायता मिल सके. इसी I.E. CODE के जरिये सरकार भारत में आनेवाले और बाहर जानेवाले विदेशी मुद्रा का लेखा जोखा रखती है.


4) REGISTRATION WITH EXPORT PROMOTION COUNCIL (निर्यात संवर्धन परिषद् में पंजीकरण) à पंजीकृत निर्यातकों को सरकार द्वारा समय समय पर कई सुविधायें दि जाती हैं. कंपनी का पंजीकरण उसके द्वारा निर्यात कि जानीवाली वस्तु / सेवा के प्रकार या उनके वर्गों के आधार पर संबंधित EXPORT PROMOTION COUNCIL ( निर्यात संवर्धन परिषद् ) में किया जाता हैं. उदाहरण के लिए चमड़े  के सामान / वस्तु का आयात / निर्यात करनेवाले को LEATHER EXPORT PROMOTION COUNCIL ( चर्म निर्यात संवर्धन परिषद् ) और रसायन (CHEMICAL) के सामान / वस्तु का आयात / निर्यात करनेवाले को CHEMICAL EXPORT PROMOTION COUNCIL (रसायन निर्यात संवर्धन परिषद् ) के साथ पंजीकृत    (REGISTER) करना पड़ता है. I.E. CODE धारक को यह बात ध्यान में रखना पड़ता है कि : i) अगर किसी वित्तीय वर्ष में उसके द्वारा कोई आयात निर्यात का काम नहीं हुआ है तो DGFT द्वारा उसका I.E. CODE रद्द किया जा सकता है. ii) कंपनी के स्वरुप, पता या फिर किसी तरह के संवैधानीक ढांचे में परिवर्तन कि सुचना DGFT एवं सम्बंदित EXPORT PROMOTION COUNCIL (निर्यात संवर्दन परिषद्) को देना पड़ता है. iii) अगर कोई निर्यातक रिसर्व बैंक ऑफ़ इंडिया द्वारा निर्धारित समय सीमा के अन्दर निर्यात कि हुई वस्तु / सेवा का मूल्य / किमत भारत में नहीं ला पाता है तो उसके खिलाफ कानूनी कार्यवाही कि जा सकती है.


 

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